udaan
जो लहरों से आगे नजर देख पाती,
तो तुम जान लेते
मैं क्या सोचता हूँ।
वो आवाज तुमको भी जो भेद जाती,
तो तुम जान लेते
मैं क्या सोचता हूँ।
जिद का तुम्हारे जो परदा सरकता,
खिड़कियों से आगे भी तुम देख पाते।
आँखो से आदतो कि जो पलकें हटाते,
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ।
मेरी तरह होता अगर खुद पर जरा भरोसा,
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते।
रंग मेरी आँखों का बाँटते जरा सा,
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते।
नशा आसमान का जो चूमता तुम्हे,
हसरतें तुम्हारी नया जन्म पातीं।
खुद दूसरे जन्म मे मेरी उड़ान छूने,
कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते।
Writer- Amitabh bhattacharya #udaan #kavita

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